Zindagi shayari urdu - उम्र चढ़ रही है थोड़ा मचल लूँ..

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By Khaab

उम्र चढ़ रही है थोड़ा मचल लूँ आप कहें तो ज़िन्दगी बदल लूँ !

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इस बाज़ार में सस्ते बिक रहे हैं किस बंदे की कौनसी शकल लूँ !

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अब नहीं होता ब्याज पे गुज़ारा कहाँ जाऊँ मैं किस से असल लूँ !

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जौहरी कहता है के सोना हूँ मैं सो कारीगरी के वास्ते पिघल लूँ !

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नया नया ज़हर निचोड़ा है उसने थोड़ा निगल लूँ थोड़ा उगल लूँ !

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नई नहीं हैं ये बुलंदियाँ इश्क़ की इस दफ़ा तो गिरते गिरते संभल लूँ !

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