Hindi shayari: कभी प्यार मां बाप का... BY नीलम बन्सल

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BY नीलम बन्सल

इश्क़ की राह में सैलाब मिला था मुझको , हर मुसाफ़िर यहां बेताब मिला था मुझको !

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इश्क़ के मारे सभी लोग थे तन्हा यारों , सबकी आंखों में यहां आब मिला था मुझको !

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मेरे कहने से जरा पहले समझ ले बातें , अब तलक़ ऐसा न अहबाब मिला था मुझको !

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ज़द में आती गई चाहत में खुशी की जिस मैं , वो गमों का यहां गिर्दाब मिला था मुझको !

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वक्त के साथ मुहब्बत भी बदल लेता था , ऐसा इंसा कोई नायाब मिला था मुझको !

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कैफ़ ओ गम के किसी लम्हें में बदला जो , कभी प्यार मां बाप का शादाब मिला मुझको !

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