Chand shayari - मैं चांद से गुफ्तगू रोज करता हूँ...

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BY Vinod

मैं चांद से गुफ्तगू रोज करता हूँ, उससे तेरी बातें रोज करता हूँ !

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तू दीदार को आता नहीं मगर, मैं छत पर तेरा इंतजार रोज करता हूँ !

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मैं चांद से तेरे सुर्ख लबों का जिक्र रोज करता हूँ, तेरे तबस्सुम की फिक्र रोज करता हूँ !

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तेरी तस्वीर सिरहाने रख कर सोता हूँ तेरे ख्वाब रोज देखता हूँ !

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मैं चांद से तेरे ख्यालों में गुम रहता हूँ, तेरे सामने चुप रहता हूँ तूझे कितना चाहता हूँ !

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पूछ लो एक दफा चांद से मैं बयां इससे अपना हाल ए दिल रोज करता हूँ ! मैं चांद से गुफ्तगू रोज़ करता हूँ !

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