Azhar Iqbal : याद आने पर एक बेहतरीन ग़ज़ल 

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Credit: Azhar Iqbal

दिल की गली में चाँद निकलता रहता है, एक दिया उम्मीद का जलता रहता है !

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जैसे जैसे यादों की लौ बढ़ती है, वैसे वैसे जिस्म पिघलता रहता है !

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सरगोशी के कान तरसते रहते हैं, सन्नाटा आवाज़ में ढलता रहता है !

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मंज़र मंज़र जी लो जितना जी पाओ, मौसम पल पल रंग बदलता रहता है !

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राख हुए जाती है साड़ी हरियाली, आँखों में जंगल सा जलता रहता है !

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तुम जो गए तो भूल गए सारी बातें, वैसे दिल में क्या क्या चलता रहता है !

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