Beautiful poems about life - सोचूँ तो राज़ ज़िंदगी !

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By Usman Khan

लिखूँ तो अल्फ़ाज़ ज़िंदगी, सोचूँ तो राज़ ज़िंदगी, कल में ढूँढे कभी न मिले, जियूँ तो आज ज़िंदगी।

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कभी जिधर चाहूँ मोड़ दूँ इसे, कभी ये ख़ुद के ही, इशारों पे नचा रही मुझको, मानूँ तो साज़ ज़िंदगी।

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है थोड़ा शोरगुल भी ज़रूरी , लगे कि हाँ ज़िंदा हूँ, ख़ामोशी तो मौत सी है, बोलूँ तो आवाज़ ज़िंदगी।

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जैसे माशूका हुई कोई, ज़रा सा गाफ़िल होने पर, अपने ख़्वाबों पे ध्यान दूँ, देखूँ तो नाराज़ ज़िंदगी।

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नाम कमाने को मुझे, इसे ही बेहतर बनाना होगा, न समझूँ तो कुछ भी नहीं, पहनूँ तो ताज ज़िंदगी।

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जितनी भी मिली है 'राही' जी लो हँसी ख़ुशी कि, ये इक दिन उड़ जाएगी, कहूँ तो परवाज़ ज़िंदगी।

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