Mirza Ghalib ke  कुछ चुनिंदा  sher  Presentation  Credit: Mirza Ghalib डायरी की शायरी 

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हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है

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~ Mirza Ghalib

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

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~ Mirza Ghalib

तुम न आए तो क्या सहर न हुई हाँ मगर चैन से बसर न हुई मेरा नाला सुना ज़माने ने एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई

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~ Mirza Ghalib

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता ! ..

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~ Mirza Ghalib

हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

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~ Mirza Ghalib

ज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं

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~ Mirza Ghalib

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

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~ Mirza Ghalib

इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना

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~ Mirza Ghalib

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब' शर्म तुम को मगर नहीं आती

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~ Mirza Ghalib

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