Sad poetry in urdu - मुखातिब हुए कई लोग मुझसे - डायरी की शायरी

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मुखातिब हुए कई लोग मुझसे, कोई मगर दिल के पास न आया !

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बातें पसंद थी कइयों को मेरी, मै मगर किसी को रास ना आया !

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कोई हंसकर चला गया मुझ पर, तो कोई मज़ाक उड़ा कर, 

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दिल बहलाने के सिवा, मैं किसी के काम कुछ ख़ास न आया !

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मिलेगी मुझसे बेहतर तुम्हे, ये भी कहा फिर कइयों ने, 

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अपनाने का मुझको मगर एक के मन में भी एहसास न आया !

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और पड़ सकता हूँ मैं भी कभी चाहत में किसी की, कुछ ऐसे भी है जिनको इस बात पर भी यकीन न आया !

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मुखातिब हुए कईं लोग मुझसे Poetry by Ayush

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