Politics  - poem जो नेताओ की आँखे खोले दे !

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By Prakash

यूँ तो अच्छे है बहुत आपके नारे नेता जी पर बस नारों से होते नहीं गुज़ारे नेता जी !

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भर रहें आपके गोदाम धन- दौलत से रोज़ मर रहे गरीब भूख के मारे नेता जी !

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अंधियारा हर गरीब के घर मे आपके महलों में कैसे उजियारे नेता जी !

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बेटियाँ अपने देश मे ही महफूज़ नहीं मनोबल बढ़ा रहे गुंडे और हत्यारे नेता जी !

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ना रोज़गार मिला, नाही ही महंगाई थमी आपके वादे झूठे निकले सारे-के-सारे नेता !

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