Bhagat Singh के लिए क्या खूब सुंदर  कविता लिखी है !

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By: Prakash

शहीद दिवस शपत लिया जब भगतसिंह ने जलते अंगारों से गूँज उठा था कण कण तब इंकलाब के नारों से !

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सुखदेव, राजगुरु के संग करने चले आगाज़ नया कही आज़ादी लेकर रहेंगे, लिक्खेगें इतिहास नया !

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मारी गोली सॉण्डर्स को थी बड़े बड़े सोच विचारो से ले लिया बदला तीनों ने लाला जी के हत्यारों से !

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फेंका बम असेम्बली के फ़िर खाली स्थानों पर ताकि आवाज़ सुनाई दे अंग्रेज़ो के बहरे कानों पर !

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भाग सकते थे असेम्बली से पर इसका प्रतिकार किया ख़ुद ही जेलों में जाना तीनों ने स्वीकार किया !

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पता था इनको बाद इसके फाँसी होने वाली है जंग-ऐ-आज़ादी में अब कुर्बानी होने वाली है !

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गाया जेल में रंग दे बसंती और भूख हड़ताल किया जेल में रहकर भी अंग्रेज़ों का जीना बेहाल किया !

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माता से बोले भगत सिंह कि तुम न आंसू बहाओगी आज़ादी के हर दीवाने में माँ तुम मुझको पाओगी !

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लटके थे जब वो फाँसी पर रस्सी भी रोयी होगी भारत माता भी संग मेंतीन बेटों को खोयी होगी !

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इनकी अमर कहानी हमको बात यही सिखलाती है वीरों की कुर्बानी जग में व्यर्थ नहीं कभी जाती है !

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