Best shayari in urdu By Aadil Rahi डायरी की शायरी

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कसक दिल की मिटाने में ज़रा सी देर लगती है किसी का ग़म भुलाने में ज़रा सी देर लगती है

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किसी को चाह कर अपना बनाना ठीक है लेकिन मोहब्बत आज़माने में ज़रा सी देर लगती है

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तुम्हें पाने की ख़्वाहिश में हुआ एहसास ये मुझ को मुक़द्दर आज़माने में ज़रा सी देर लगती है

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जिसे मिन्नत मुरादों से बड़ी मुश्किल से पाया हो उसे दिल से भुलाने में ज़रा सी देर लगती है

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कि जिस दिल की ज़मीं बरसों से बंजर हो तो फिर उस पर नई चाहत उगाने में ज़रा सी देर लगती है

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ग़ज़ल पढ़ कर तो आसानी से महफ़िल लूट सकते हो मगर इज़्ज़त कमाने में ज़रा सी देर लगती है

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दिल-ए-मुज़्तर को आख़िर कौन समझाएगा ऐ 'राही' सुकून-ए-क़ल्ब पाने में ज़रा सी देर लगती है

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