Love ghazal: मौसम है प्यार का ये... BY रूपम

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By Roopam

ख्वाब आंखों से चुराया न कीजिए वक्त वे वक्त याद आया न कीजिए । 

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मौसम है प्यार का ये शाम हसीन है मुस्कुराके दिल यूँ जलाया न कीजिए।

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नींद मेरी इन पलकों से रूठ गई है सपनों में रोज रोज जगाया न कीजिए।

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कर दी है जिंदगी जब तेरे नाम मैंने बात बात में हमें सताया न कीजिए।

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फूल हो या कांटे चलूंगी हाथ थाम कर प्यार को मेरे यूं आजमाया न कीजिए।

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'रूपम' पे इनायत हो रही है खुदा की सजदे में खुदा के सर झुकाया कीजिए।।

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