Urdu shayri on beautiful eyes - ख़ूबसूरत आँखों पर शायरी !

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By Usman Khan

झील सी नीली और प्यारी आँखें, ख़ुदा की कसम हैं तुम्हारी आँखें।

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परिस्तान से मुकम्मल हो कर ही, हाँ, आसमाँ से गईं उतारी आँखें।

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जैसे गुल खिल उठे सहरा में जो, मेरे ऊपर से तुमने गुजारी आँखें।

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करती हैं वार मेरे दिल पे बारंबार, छुरी हैं तलवार हैं या आरी आँखें।

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मैं देखूँ इनमें व इसी में डूब जाऊँ, बना दो ना इन्हें तुम हमारी आँखें।

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आ जाओ कि कब तक राह देखूँ, पुकारें तुम्हें ही मेरी बेचारी आँखें।

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रूह को सुकूँ दे जाए 'राही' ऐसी, तुम पाई हो बाद-ए-बहारी आँखें।

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