Romantic shayari in urdu - जब बैठा हूं मैं किनारे तुम्हारे... डायरी की शायरी

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जब से आकर बैठा हूं मैं किनारे तुम्हारे समझ आने लगे हैं सब इशारे तुम्हारे !

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एक मेरी कलम जो तुम्हें लिखने को आमादा है उस पर हैं आरिज़ भी कितने प्यारे तुम्हारे !

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तेज़ तूफ़ान में भी पार जाकर ही ठहरेंगी जिन नावों को मिल गए हैं सहारे तुम्हारे !

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मैं इस पर शिकायत न करूं तो क्या करूं कि नींद मेरी है पर ख़्वाब सारे तुम्हारे !

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हम जब मिलेंगे तो जहान का सौदा करेंगे रातें मैं रख लूंगा और चांद सितारे तुम्हारे !

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